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मिलों चलने की आदत .....
मिलों चलने की आदत ,
कुछ यूं ,तुम बांध लो !
की, कुछ पल के लिए भी ,
अगर, तुम चलो ;
तो, वो तुम्हारी, "सादगी" कही जाए ।
लोगों को, अनसुना कर ,
तुम, सफर पर, कुछ, यूं निकलो ;
की, लोग तुम्हे अनसुना ;
कभी न कर पाए ।
कभी, न कर पाए ।।
अकेला चलना, अगर पड़े ;
तो चलो !
की, न जाने कब ;
तुम्हारे साथ, कारवां ही निकल आए ।
कारवां अगर,
न भी निकला ;
तो, कम से कम ,
मंज़िल तो नज़र आए !
मिलों चलने की आदत ,
तुम कुछ, यूं बांध लो ;
की, कुछ पल के लिए भी ,
अगर, तुम चलो ,
तो वो ;
" तुम्हारी सादगी, कही जाए ।
तुम्हारी, सादगी, कही जाए " ।।
~ FreelancerPoet
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#goodmorning #motivation #musings
Very motivating ❣️❣️
Deep! Bahut barhiya likha bhai.
Always a fan of the sense of tenderness in the words. This piece touched my heart!! Most importantly, I am in love with the lines "अकेला चलना, अगर पड़े ;
तो चलो !
की, न जाने कब ;
तुम्हारे साथ, कारवां ही निकल आए ।
कारवां अगर,
न भी निकला ;
तो, कम से कम ,
मंज़िल तो नज़र आए !"
Keep Going...